Wednesday, August 10, 2016

धर्म या अधर्म...?


हैदराबाद के "जीवनदान"नामक किसी संस्था या चिकित्सालय का समाचार दिखा रहा था जहां लगभग 40-45 मुस्लिम अपनी बीमारी में अंगदान का लाभ ले चूके हैं लेकिन जब उनके परिवारवालों को अंगदान के लिए पूछा जाता है  तो उनका धर्म दान की इजाजत नहीं देता ।अब तक एक भी मुसलमान ने कोई अंगदान नही किया है। वाह! क्या दोहरा मापदंड है। 

ये धर्म है या अधर्म? दूसरों के माल को जायज मानते हैं... इनका धर्म इस्कॉन के शाकाहारी खाने से भ्रष्ट हो जाता है, पर हिन्दु जो जीवनभर राम, कृष्ण, महादेव.. की पूजा करते हैं, उसके अंग को जिने के लिए ये ले लेते हैं | उपर से हरामीपन ये कि जब इनको अंगदान को पूछा जाए तो धर्मका बहाना करते हैं |

इन्हें हिंदु धर्म से नफरत है, पर हिन्दुओं के पैसों से हज करने से नहीं..! तब इनकी हज हराम नहीं होती? अगर केन्द्र सरकार या कोई राज्य सरकारें अमरनाथ यात्रा पर सब्सिडी देने लगे तो कांग्रेस, आपिये, केजरीवाल और उसके अपराधी एमएलए, लालू प्रसाद, नीतीश,ममता बनर्जी, वामपंथी, ओवैसी, मुल्ले और इन के साथी वेटिकन /साउदी गुलाम भारतीय मीडिया का एक वर्ग छत पर चढ़ कर हल्ला मचाएंगे |


अब बात राजनीतिक, वोटबैंक प्रेरित फतवों की |कांग्रेस ने अंग्रेजों वाली "फूट डालो, राज करो" नीति अपना कर ६७ (67) वर्षों में जो राह दिखाई सारे विपक्ष उस पर चल रहे हैं | ममता बनर्जी मौलवियों को पगार देती है, पर पुजारियों को नहीं देंगी, उपर से मुल्ले वहां अभी वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.. चोरी और सीनाजोरी | दलितों के मसीहा दिखने का ढोंग रचानेवाले अखिलेश यादव मुस्लिम लड़कियों, गरीब या अमीर, को मुफ्त की रेवड़ीयाँ बांटते हैं, हिन्दू गरीबों को भी नहीं, दलित कन्याओं को भी भूल जाते हैं | मायावती, नीतीश, लालू, राहुल गांधी, वामपंथी, या दल्ले पत्रकार इस पर मौन हैं | मुस्लिमों को इस प्रकार से अपाहिज बनाकर वोट लूटना ही इनका काम है | सिर्फ भारत में सेक्युलरिज्म शब्द सम्विधान में बाद में जोड़ा गया और जिन्होंने जोड़ा है, वो ही धर्म के नाम पर मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँट कर समान अधिकार की धज्जियां उड़ा रहे हैं | 

कहने को ये शांतिप्रिय हैं, पर दुनिया के जितने भी मुस्लिम देश हैं, सारे अशांत हैं | मुल्ले, वामपंथी, कांग्रेस और उस के दोगले साथी हिन्दुओं की जाती, कही किसी ख़ास कारणवश दलित की पिटाई को  (दलित उत्पीडन बिलकुल नहीं, ऐसा मैं नहीं कहता, परन्तु पैसे, धंधे, जमीन या ऐसे कारणों से हो तो भी ) बड़ा इश्यु बनाकर हल्ला मचाते हैं, पर शांतिप्रिय मुस्लिमों में एक हिंसक फिरका अन्य फिरकों के लोगों का कत्लेआम  कर रहा है, ईसाईयों, हिन्दूओं, येज़ीदीओं, कुर्दों... को मार रहा है, इनकी महिलाओं का बलात्कार कर रहा है और इसे धर्म के नाम पर जायज़ भी ठहरा रहा है | 



Friday, November 28, 2014

क्या आप अपनी बेटी से प्यार करते हैं.

बेटियों को अच्छे-बुरे की शिक्षा देना माँ-बाप का फर्ज़ है. ख़ास कर जब वो 11 से 18-19 साल की हो तब उन के साथ समय बिताइए. उनकी समस्याओं को जानिए. उन्हें लालच और लालसा से दूर रहना सिखाइए. ज्यादातर लडकियां एशो-आराम के चक्कर में प्यार का झांसा और शादी का वादा दे कर फंसाई जाती है और फिर उन के मन और शरीर से खेल कर छोड़ दी जाती हैं. बोयफ्रेंड होना गुनाह नहीं. बॉयफ्रेंड को अपना अनुचित लाभ उठाने देना गुनाह है. इस उम्र के दौर में शारीरिक बदलाव होते हैं. होर्मोन्स दिमाग की सोच को कुंठित करते हैं. सही-गलत का भान नहीं रहता.

कई लडकियां अपने दिमागी सपनों की वजह से झूठमूठ शेखी बघारती है के मैंने तो अपने बोयफ्रेंड को कीस किया, ये किया, वो किया. तो बाकी भी उस कुंठित अवस्था में सोचती है के मैं पीछे कैसे रह जाऊं और वो अगर उसका बोयफ्रेंड शर्मीला हो तो भी उकसाती है....ताकी वो भी शेखी बघार सके.

कई किस्से देखे हैं मैंने और शायद आपने भी, जहां लड़का-लड़की दोस्त बने, एक दुसरे को जाना, पारिवारिक सम्मति से शादी हुई और हंसी-ख़ुशी जी रहे हैं, पर उन किस्सों से कई सौ गुना ज्यादा किस्सों में लड़कियों को शादीका झांसा देकर शारीरिक शोषण किया गया है. बात हिंदी फिल्मों की तरह "मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ" तक पहुँचने पर नकली प्यार हवा हो जाता है और यथार्थ के धरातल पर पहुँच कर लडकी का पूरा अस्तित्व चूर-चूर हो जाता है. ...(क्रमश:)



कवि: अज्ञात

Sunday, July 13, 2014

ઈંઢોણી ........ इढुनी ......... ईडोणा ......... ईंडी......... चूमरी .......... चूमली ....... नेठो.... बीनना.....बिड़ई.........कुढई ........ चुमरा ....... गोडारी ......... चोमल

इस लड़की के सर ऊपर जो चीज़ है उसे  अलग-अलग प्रदेशों में शीर्षक में दर्शाये गए नामों से दर्शाया जाता है. ये सर पर मटकी या दूसरा भारी बोज़ उठाते हुए उपयोग में लाइ जाती है.। गुजरात में इसे "बजाणीया" कोम की जो एक विचरती जाती है, उन के द्वारा बनाया जाता है.  गुजरात में इसे इंढोणी कहते हैं तो गढवाली में डूललु. राजस्थान में इंढोणा, इढोणी, इढुनी बोलते हैं. अन्य राज्यों व भाषाओँ में इसे ईंडी, चूमरी, चुमली, नेठो, बिन्ना, बीडई, कुढ़ई, चूमरा, गोडारी, या चोमल कहते हैं. 

गुजरात में गरबों में और लोकगीत में इंढोणी को उपयुक्त स्थान मिला है. क्या आप के प्रदेश में ऐसे गीत हैं. 

સોના ઈંઢોણી, રૂપા બેડલું રે,
ઊભા રો’, રંગવાદળી,
વરસ્યા વિણ શાને, વહી જાવ છો,
એકવાર ઊભા રો’ રંગવાદળી

માંએ સોના નો ગરબો શિરે ધર્યો, ગરબે સૂરજ ના કિરણો એ સાથિયો કર્યો
માની ઈંઢોણી અલબેલી મોતી એ મઢેલી, માંહી જ્યોતિ અનેરી ઝળકે 



ઓશીકે ઈંઢોણી વહુ, ઓશીકે ઈંઢોણી વહુ, પાંગતે સીંચણિયું રે સૈ
સામી તે ઓરડીએ, વહુ તારું બેડલું રે, સૈયોં કે હમચી, સૈયોં કે હમચી
દાદા હો દીકરી, દાદા હો દીકરી

બજાણિયા (સરાણિયા) : ભટકતી આ કોમ ઈંઢોણી, સાદડી, ટોપલી વગેરે બનાવે છે.






Thursday, August 29, 2013

ઊંચી મેડી તે મારા સંતની રે, મેં તો મા’લી ન જાણી રામ.. હો રામ..
ઊંચી મેડી તે મારા સંતની રે, મેં તો મા’લી ન જાણી રામ..
અમને તે તેડાં શીદ મોક્લ્યાં, કે મારો પીંડ છે કાચો રામ,
મોંઘા મૂલની મારી ચુંદડી, મેં તો મા’લી ન જાણી રામ.. હો રામ..
ઊંચી મેડી તે મારા સંતની રે….
અડધાં પેહર્યાં અડધાં પાથર્યાં, અડધાં ઉપર ઓઢાડ્યાં રામ
ચારે છેડે ચારે જણાં, તોયે ડગમગ થાયે રામ.. હો રામ..
ઊંચી મેડી તે મારા સંતની રે….
નથી તરાપો, નથી ડુંગરા, નથી ઉતર્યાનો આરો રામ
નરસિંહ મેહતાના સ્વામી શામળા, પ્રભુ પાર ઉતારો રામ.. હો રામ..
ઊંચી મેડી તે મારા સંતની રે….

Tuesday, August 27, 2013

वह चीनी भाई —महादेवी वर्मा

मुझे चीनियों में पहचान कर स्मरण रखने योग्य विभिन्नता कम मिलती है। कुछ समतल मुख एक ही साँचे में ढले से जान पड़ते हैं और उनकी एकरसता दूर करने वाली, वस्त्र पर पड़ी हुई सिकुड़न जैसी नाक की गठन में भी विशेष अंतर नहीं दिखाई देता।
कुछ तिरछी अधखुली और विरल भूरी बरूनियों वाली आँखों की तरल रेखाकृति देख कर भ्रांति होती है कि वे सब एक नाप के अनुसार किसी तेज़ धार से चीर कर बनाई गई हैं। स्वाभाविक पीतवर्ण धूप के चरण चिह्नों पर पड़े हुए धूल के आवरण के कारण कुछ ललछौंहे सूखे पत्ते की समानता पर लेता है। आकार प्रकार वेशभूषा सब मिल कर इन दूर देशियों को यंत्र चालित पुतलों की भूमिका दे देते हैं, इसी से अनेक बार देखने पर भी एक फेरी वाले चीनी को दूसरे से भिन्न कर के पहचानना कठिन है।
पर आज उन मुखों की एकरूप समष्टि में मुझे आर्द्र नीलिमामयी आँखों के साथ एक मुख स्मरण आता है जिसकी मौन भंगिमा कहती है - "हम कार्बन की कापियाँ नहीं हैं। हमारी भी एक कथा है। यदि जीवन की वर्णमाला के संबंध में तुम्हारी आँखें निरक्षर नहीं तो तुम पढ़ कर देखो न!"

कई वर्ष पहले की बात है मैं तांगे से उतर कर भीतर आ रही थी कि भूरे कपड़े का गठ्ठर बाएँ कंधे के सहारे पीठ पर लटकाए हुए और दाहिने हाथ में लोहे का गज घुमाता हुआ चीने फेरी वाला फाटक के बाहर आता हुआ दिखा। संभवत: मेरे घर को बंद पाकर वह लौटा जा रहा था। "कुछ लेगा मेमसाहब!" - दुर्भाग्य का मारा चीनी! उसे क्या पता कि वह संबोधन मेरे मन में रोष की सबसे तुंग तरंग उठा देता है। मइया, माता, जीजी, दिदिया, बिटिया आदि न जाने कितने संबोधनों से मेरा परिचय है और सब मुझे प्रिय हैं, पर यह विजातीय संबोधन मानो सारा परिचय छीन कर मुझे गाउन में खड़ा कर देता है। इस संबोधन के उपरांत मेरे पास से निराश होकर न लौटना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है।
मैने अवज्ञा से उत्तर दिया-मैं फारन ( विदेशी) नहीं ख़रीदती।
"हम क्या फारन है? हम तो चाइना से आता है।" कहने वाले के कंठ में सरल विस्मय के साथ उपेक्षा की चोट से उत्पन्न क्षोभ भी था। इस बार रुक कर उत्तर देने वाले को ठीक से देखने की इच्छा हुई। धूल से मटमैले सफ़ेद किरमिच के जूते में छोटे पैर छिपाए, पतलून और पाजामे का सम्मिश्रित परिणाम जैसा पाजामा और कुर्ता तथा कोट की एकता के आधार पर सिला कोट पहने, उधड़े हुए किनारों से पुरानेपन की घोषणा करते हुए हैट से आधा माथा ढके दाढ़ी मूछ विहीन दुबली नाटी जो मूर्ति खड़ी थी वह तो शाश्वत चीनी है। उसे सबसे अलग कर के देखने का प्रश्न जीवन में पहली बार उठा।
मेरी उपेक्षा से उस विदेशी को चोट पहुँची, यह सोच कर मैंने अपनी नहीं को और अधिक कोमल बनाने का प्रयास किया, "मुझे कुछ नहीं चाहिए भाई।" चीनी भी विचित्र निकला, "हमको भाय बोला है, तुम ज़रूर लेगा, ज़रूर लेगा- हाँ?" 'होम करते हाथ जला' वाली कहावत हो गई - विवश कहना पड़ा, "देखूँ, तुम्हारे पास है क्या।" चीनी बरामदे में कपड़े का गठ्ठा उतारता हुआ कह चला, "भोत अच्छा सिल्क आता है सिस्तर! चाइना सिल्क क्रेप. . ." बहुत कहने सुनने के उपरांत दो मेज़पोश ख़रीदना आवश्यक हो गया। सोचा- चलो छुट्टी हुई, इतनी कम बिक्री होने के कारण चीनी अब कभी इस ओर आने की भूल न करेगा।
पर कोई पंद्रह दिन बाद वह बरामदे में अपनी गठरी पर बैठ कर गज को फ़र्श पर बजा-बजा कर गुनगुनाता हुआ मिला। मैंने उसे कुछ बोलने का अवसर न दे कर, व्यस्त भाव से कहा, ''अब तो मैं कुछ न लूँगी। समझे?'' चीनी खड़ा होकर जेब से कुछ निकालता हुआ प्रफुल्ल मुद्रा से बोला, ''सिस्तर आपका वास्ते ही लाता है, भोत बेस्त सब सेल हो गया। हम इसको पाकेट में छिपा के लाता है।''
देखा- कुछ रूमाल थे ऊदी रंग के डोरे भरे हुए, किनारों का हर घुमाव और कोनों में उसी रंग से बने नन्हें फूलों की प्रत्येक पंखुड़ी चीनी नारी की कोमल उँगलियों की कलात्मकता ही नहीं व्यक्त कर रही थी, जीवन के अभाव की करुण कहानी भी कह रही थी। मेरे मुख के निषेधात्मक भाव को लक्ष्य कर अपनी नीली रेखाकृत आँखों को जल्दी-जल्दी बंद करते और खोलते हुए वह एक साँस में "सिस्तर का वास्ते लाता है, सिस्तर का वास्ते लाता है!" दोहराने लगा।
मन में सोचा, अच्छा भाई मिला है! बचपन में मुझे लोग चीनी कह कर चिढ़ाया करते थे। संदेह होने लगा, उस चिढ़ाने में कोई तत्व भी रहा होगा। अन्यथा आज एक सचमुच का चीनी, सारे इलाहाबाद को छोड़ कर मुझसे बहन का संबंध क्यों जोड़ने आता! पर उस दिन से चीनी को मेरे यहाँ जब तब आने का विशेष अधिकार प्राप्त हो गया है। चीन का साधारण श्रेणी का व्यक्ति भी कला के संबंध में विशेष अभिरुचि रखता है इसका पता भी उसी चीनी की परिष्कृत रुचि में मिला।
नीली दीवार पर किस रंग के चित्र सुंदर जान पड़ते हैं, हरे कुशन पर किस प्रकार के पक्षी अच्छे लगते हैं, सफ़ेद पर्दे के कोने में किस बनावट के फूल पत्ते खिलेंगे आदि के विषय में चीनी उतनी ही जानकारी रखता था, जितनी किसी अच्छे कलाकार से मिलेगी। रंग से उसका अति परिचय यह विश्वास उत्पन्न कर देता था कि वह आँखों पर पट्टी बाँध देने पर भी केवल स्पर्श से रंग पहचान लेगा।
चीन के वस्त्र, चीन के चित्र आदि की रंगमयता देखकर भ्रम होने लगता है कि वहाँ की मिट्टी का हर कण भी इन्हीं रंगों से रंगा हुआ न हो। चीन देखने की इच्छा प्रकट करते ही 'सिस्तर का वास्ते हम चलेगा' कहते-कहते चीनी की आँखों की नीली रेखा प्रसन्नता से उजली हो उठती थी।
अपनी कथा सुनाने के लिए वह विशेष उत्सुक रहा करता था। पर कहने सुनने वाले की बीच की खाई बहुत गहरी थी। उसे चीनी और बर्मी भाषाएँ आती थीं, जिनके संबंध में अपनी सारी विद्या बुद्धि के साथ मैं 'आँख के अंधे नाम नयनसुख' की कहावत चरितार्थ करती थी। अंग्रज़ी की क्रियाहीन संज्ञाओं और हिंदुस्तानी की संज्ञाहीन क्रियाओं के सम्मिश्रण से जो विचित्र भाषा बनती थी, उसमें कथा का सारा मर्म बँध नहीं पाता था। पर जो कथाएँ हृदय का बाँध तोड़ कर दूसरों को अपना परिचय देने के लिए बह निकलती हैं, प्राय: करुण होती हैं और करुणा की भाषा शब्दहीन रह कर भी बोलने में समर्थ है। चीनी फेरीवाले की कथा भी इसका अपवाद नहीं।

महादेवी वर्मा 

Monday, August 19, 2013

आयुर्वेदिक चूर्ण ----------------

हम इससे पहले आयुर्वेदिक दवाओं में गोलियों, वटियों भस्म व पिष्टी की जानकारी आपको देचुके हैं। आयुर्वेद के कुछ चूर्ण, जो दैनिक जीवनमें बहुत उपयोगी हैं,की जानकारी दी जा रही है-
अश्वगन्धादि चूर्ण : धातु पौष्टिक, नेत्रों की कमजोरी, प्रमेह, शक्तिवर्द्धक,वीर्य वर्द्धक, पौष्टिक तथा बाजीकर,शरीर की झुर्रियों को दूर करता है। मात्रा 5 से 10 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
अविपित्तकर चूर्ण : अम्लपित्त की सर्वोत्तम दवा। छाती और गले की जलन,खट्टी डकारें,कब्जियत आदिपित्त रोगों के सभी उपद्रव इसमें शांत होते हैं। मात्रा 3से 6ग्राम भोजन केसाथ।
अष्टांग लवणचूर्ण : स्वादिष्ट तथा रुचिवर्द्धक। मंदाग्नि, अरुचि, भूख न लगना आदि पर विशेष लाभकारी। मात्रा 3से 5ग्राम भोजन केपश्चात या पूर्व। थोड़ा-थोड़ा खाना चाहिए।
आमलकी रसायनचूर्ण : पौष्टिक, पित्त नाशक व रसायन है। नियमित सेवन से शरीर व इन्द्रियां दृढ़ होती हैं।मात्रा 3 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
आमलक्यादिचूर्ण : सभी ज्वरों में उपयोगी, दस्तावर, अग्निवर्द्धक, रुचिकर एवं पाचक। मात्रा 1 से 3 गोली सुबह व शाम पानी से।
एलादि चूर्ण :उल्टी होना, हाथ, पांव और आंखों में जलन होना, अरुचि व मंदाग्नि में लाभदायक तथा प्यास नाशक है। मात्रा 1से 3ग्राम शहद से।
गंगाधर (वृहत)चूर्ण : अतिसार, पतले दस्त, संग्रहणी, पेचिश के दस्त आदि में। मात्रा 1 से 3 ग्राम चावल का पानी या शहद से दिन में तीनबार।
जातिफलादिचूर्ण : अतिसार, संग्रहणी, पेट में मरोड़, अरुचि, अपचन, मंदाग्नि, वात-कफ तथा सर्दी (जुकाम) को नष्ट करता है। मात्रा 1.5से 3ग्राम शहद से।
दाडिमाष्टकचूर्ण : स्वादिष्ट एवं रुचिवर्द्धक। अजीर्ण, अग्निमांद्य, अरुचि गुल्म, संग्रहणी, व गले के रोगों में। मात्रा 3से 5ग्राम भोजन केबाद।
चातुर्जातचूर्ण : अग्निवर्द्धक, दीपक, पाचक एवं विषनाशक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम दिन में तीन बार शहद से।
चातुर्भद्रचूर्ण : बालकों के सामान्य रोग, ज्वर, अपचन, उल्टी, अग्निमांद्य आदि पर गुणकारी। मात्रा 1 से 4 रत्ती दिन में तीन बार शहद से।
चोपचिन्यादिचूर्ण : उपदंश, प्रमेह, वातव्याधि, व्रण आदि पर। मात्रा 1 से 3 ग्राम प्रातः व सायं जल अथवा शहद से।
तालीसादि चूर्ण: जीर्ण, ज्वर, श्वास, खांसी, वमन, पांडू, तिल्ली, अरुचि, आफरा, अतिसार, संग्रहणी आदि विकारों में लाभकारी। मात्रा 3 से 5 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम।
दशन संस्कारचूर्ण : दांत और मुंह के रोगों को नष्ट करता है। मंजन करना चाहिए।
नारायण चूर्ण :उदर रोग, अफरा, गुल्म, सूजन, कब्जियत, मंदाग्नि, बवासीर आदि रोगों में तथा पेट साफ करने के लिए उपयोगी। मात्रा 2से 4ग्राम गर्म जलसे।
पुष्यानुगचूर्ण : स्त्रियों के प्रदर रोग की उत्तम दवा। सभी प्रकार के प्रदर,योनी रोग,रक्तातिसार,रजोदोष,बवासीर आदि मेंलाभकारी। मात्रा 2 से 3 ग्राम सुबह-शाम शहद अथवा चावल के पानी में।
पुष्पावरोधग्नचूर्ण : स्त्रियों को मासिक धर्म न होना या कष्ट होना तथा रुके हुए मासिक धर्म कोखोलता है। मात्रा 6 से 12 ग्राम दिन में तीन समय गर्म जल के साथ।
पंचकोल चूर्ण :अरुचि, अफरा,शूल,गुल्म रोग आदिमें। अग्निवर्द्धक व दीपन पाचन। मात्रा 1 से 3 ग्राम।
पंचसम चूर्ण :कब्जियत को दूर कर पेट को साफ करता है तथा पाचन शक्ति और भूख बढ़ाता है। आम शूल वउदर शूल नाशक है। हल्का दस्तावर है। आम वृद्धि, अतिसार, अजीर्ण, अफरा, आदि नाशक है। मात्रा 5से 10ग्राम सोते समयपानी से।
यवानिखांडवचूर्ण : रोचक, पाचक व स्वादिष्ट। अरुचि, मंदाग्नि, वमन, अतिसार, संग्रहणी आदि उदर रोगों पर गुणकारी। मात्रा 3 से 6 ग्राम।
लवणभास्करचूर्ण : यह स्वादिष्ट व पाचक है तथा आमाशय शोधक है। अजीर्ण,अरुचि,पेट के रोग,मंदाग्नि,खट्टी डकार आना,भूख कम लगना।आदि अनेक रोगों में लाभकारी। कब्जियत मिटाता है और पतले दस्तों को बंद करता है।बवासीर, सूजन, शूल, श्वास, आमवात आदि में उपयोगी। मात्रा 3 से 6 ग्राम मठा (छाछ) या पानी से भोजन के पूर्व यापश्चात लें।
लवांगादि चूर्ण: वात, पित्त व कफनाशक, कंठ रोग,वमन,अग्निमांद्य,अरुचि मेंलाभदायक। स्त्रियों को गर्भावस्था में होने वाले विकार,जैसे जीमिचलाना, उल्टी, अरुचि आदि में फायदा करता है। हृदय रोग, खांसी, हिचकी, पीनस, अतिसार, श्वास, प्रमेह, संग्रहणी, आदि में लाभदायक। मात्रा 3ग्राम सुबह-शामशहद से।
व्योषादि चूर्ण: श्वास, खांसी, जुकाम, नजला, पीनस में लाभदायक तथा आवाज साफ करता है। मात्रा 3से 5ग्राम सायंकालगुनगुने पानी से।
शतावरी चूर्ण :धातु क्षीणता, स्वप्न दोष व वीर्यविकार में, रस रक्त आदि सात धातुओं की वृद्धि होती है। शक्ति वर्द्धक,पौष्टिक,बाजीकर तथावीर्य वर्द्धक है। मात्रा 5 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
स्वादिष्टविरेचन चूर्ण (सुख विरेचन चूर्ण) : हल्का दस्तावर है। बिना कतलीफ के पेट साफ करताहै। खून साफ करता है तथा नियमित व्यवहार से बवासीर में लाभकारी। मात्रा 3से 6ग्राम रात्रिसोते समय गर्म जल अथवा दूध से।
सारस्वत चूर्ण: दिमाग के दोषों को दूर करता है। बुद्धि व स्मृति बढ़ाता है। अनिद्रा या कम निद्रामें लाभदायक। विद्यार्थियों एवं दिमागी काम करने वालों के लिए उत्तम। मात्रा 1से 3ग्राम प्रातः-सायं मधु या दूध से।
सितोपलादिचूर्ण : पुराना बुखार, भूख न लगना, श्वास, खांसी, शारीरिक क्षीणता, अरुचि जीभ की शून्यता, हाथ-पैर की जलन, नाक व मुंह से खून आना, क्षय आदि रोगों की प्रसिद्ध दवा। मात्रा 1 से 3 गोली सुबह-शाम शहाद से।
सुदर्शन (महा)चूर्ण : सब तरह का बुखार, इकतरा, दुजारी, तिजारी, मलेरिया, जीर्ण ज्वर, यकृत व प्लीहा के दोष से उत्पन्न होने वाले जीर्ण ज्वर,धातुगत ज्वरआदि में विशेष लाभकारी। कलेजे की जलन, प्यास, खांसी तथा पीठ, कमर, जांघ व पसवाडे के दर्द को दूर करता है।मात्रा 3 से 5 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ।
सुलेमानी नमकचूर्ण : भूख बढ़ाता है और खाना हजम होता है। पेट का दर्द,जी मिचलाना,खट्टी डकार काआना, दस्त साफ न आनाआदि अनेक प्रकार के रोग नष्ट करता है। पेट की वायु शुद्ध करता है। मात्रा 3से 5ग्राम घी मेंमिलाकर भोजन के पहले अथवा सुबह-शाम गर्म जल से भोजन के बाद।
सैंधवादि चूर्ण: अग्निवर्द्धक, दीपन व पाचन। मात्रा 2 से 3 ग्राम प्रातः व सायंकाल पानी अथवा छाछ से।
हिंग्वाष्टकचूर्ण : पेट की वायु को साफ करता है तथा अग्निवर्द्धक व पाचक है। अजीर्ण,मरोड़,ऐंठन,पेट मेंगुड़गुड़ाहट, पेट का फूलना, पेट का दर्द, भूख न लगना, वायु रुकना, दस्त साफ न होना, अपच के दस्त आदि में पेट के रोग नष्ट होते हैं तथा पाचन शक्ति ठीक काम करतीहै। मात्रा 3 से 5 ग्राम घी में मिलाकर भोजन के पहले अथवा सुबह-शाम गर्म जल से भोजन के बाद।
त्रिकटु चूर्ण: खांसी, कफ, वायु, शूल नाशक, व अग्निदीपक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम प्रातः-सायंकाल शहद से।
त्रिफला चूर्ण: कब्ज, पांडू, कामला, सूजन, रक्त विकार, नेत्रविकार आदि रोगों को दूर करता है तथा रसायन है। पुरानी कब्जियत दूर करताहै। इसके पानी से आंखें धोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। मात्रा 1से 3ग्राम घी व शहदसे तथा कब्जियत के लिए 5 से 10 ग्राम रात्रि को जल के साथ।
श्रृंग्यादिचूर्ण : बालकों के श्वास, खांसी, अतिसार, ज्वर में। मात्रा 2 से 4 रत्ती प्रातः-सायंकाल शहद से।
अजमोदादि चूर्ण: जोड़ों का दुःखना, सूजन, अतिसार, आमवात, कमर, पीठ का दर्द व वात व्याधि नाशक व अग्निदीपक। मात्रा 3से 5ग्रामप्रातः-सायं गर्म जल से अथवा रास्नादि काढ़े से।
अग्निमुख चूर्ण(निर्लवण) : उदावर्त, अजीर्ण, उदर रोग, शूल, गुल्म व श्वास में लाभप्रद। अग्निदीपक तथा पाचक। मात्रा 3ग्रामप्रातः-सायं उष्ण जल से।
माजून मुलैयन :हाजमा करके दस्त साफ लाने के लिए प्रसिद्ध माजून है। बवासीर के मरीजों के लिएश्रेष्ठ दस्तावर दवा। मात्रा रात को सोते समय 10 ग्राम माजून दूध के साथ।

साभार:  आर्यावर्त भरतखंड संस्कृति से ....!  आलेख का लिंक.

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हिंदी में कैसे छापें (टाइप करें) ............???

हिंदी में कैसे छापें (टाइप करें) ............???

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कड़ी पे माउस रख कर दाहिनाबटन दबाएँ. फिर आप को जो भाषा (हिंदी, या गुजराती, या अन्य) भाषा का अधोभारण करना हो उस पर खरे का निशान लगाएं (tick). अब download लिखा है उस पर दाहिना बटन दबाएँ। जब अधोभारण हो जाए तब उसे स्थापित कर लें. अबआप के द्र्श्य्पटल (मोनिटर) पर बाएँ भाषा दंड (language bar) नीचे की और आ जाएगा. आप जितनी चाहे उतनी भाषा का अधोभारण कर सकते हैं।

गूगल ने यह टूल एक साथ 14 भाषाओं (अरबी, फ़ारसी (पर्सियन), ग्रीक, बंगाली, गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, तमिल, तेलगू और ऊर्दू) में छपाई (type) करने के लिए ज़ारीकिया है।

उदाहरण के तौर पर हिंदीलीजिए. (अंग्रेजी शब्दों के लिए क्षमा करें)

क्या खा़स है इस टूल में-

1) इंटरनेट कनैक्शन की कोईआवश्यकता नहीं- आप एक बार इंस्टॉल कर लें, फिर आपके पासइंटरनेट कनैक्शन हो या न हो, कोई फ़र्क़ नहींपड़ता।
2) आसान कीबोर्ड- गूगल के इसटूल से लोगों की यह भी शिकायत रहती थीं कि वे हिन्दी के चालू शब्द तो टाइप कर लेतेथे, लेकिन कई संस्कृतनिष्ठ शब्द नहीं टाइप हो पाते थे। जैसे बहुत कोशिशों के बादभी 'हृदय' लिखना मुश्किल होता था, 'ह्रदय' से ही काम चलाना पड़ता था। जो लोग इस टूल का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इस टूल की सीमाओं का पता है। अब नये IME में गूगल ने एक कीबोर्ड दिया है, जिसकी मदद से आपदुर्लभ और जटिल शब्द भी टाइप कर सकते हैं।
3) शब्दों की पूर्ति- इसमेंशब्दकोश आधारित शब्द पूर्ति पद्धति सक्रिय है। इसकी मदद से टाइप करने वाले को यहआसानी होती है कि जैसे ही वह किसी शब्द के 2-3 अक्षर टाइप करता है, गूगल का यह सिस्टम इससे बन सकने वाले शब्दों का सुझाव देने लगता है। जैसे- 'हिन्दी' लिखना है, hi टाइप करते ही 'हिन्दी' का विकल्प प्रदर्शित हो जाता है।
4) खोज का विकल्प- इस टूल केसाथ हर शब्द, शब्द-युग्म और सम्भावितशब्द के नीचे एक तीरनुमा आकृति बनी है, जिसपर क्लिक करने सेSearch (खोज) का विकल्प आता है, उसपर क्लिक करते हीगूगल उस शब्द से संबंधित खोज परिणाम प्रदर्शित करने लगता है। टाइपिंग पट्टी केऊपरी दायें कोने में भी गूगल का ऑइकॉन है, जिसपर क्लिक करकेगूगल-सर्च किया जा सकता है। इस विकल्प के जुड़े रहने से देवनागरी-सर्च को भीबढ़ावा मिलेगा।
5) वैयक्तिक चयन- गूगल का यहटूल आप द्वारा किये गये संशोधनों को भी अपने ध्यान में रखता है और अगली बार आपकेरोमन अक्षरयुग्मों से उन्हीं शब्दों का सुझाव देता है जो आप द्वारा वांछित है।जैसे आप 'kam' से 'काम' की जगह 'कम' लिखना चाहते हैं तो अगली बार से यह आपकी पसंद का ख्याल रखता है।
6) सुखद अनुकूलन- गूगल इस टूलमें फॉन्ट चयन, साइच चयन का विकल्प भीप्रदान करता है, जिससे आप अपनी पसंद केस्टाइल में टाइपिंग कर सकें।

अब इतना जान लेने के बाद आपयह ज़रूर जानना चाहेंगे कि इसे आप अपने सिस्टम में संस्थापित (इंस्टॉल) कैसे करें।

1) यहाँ क्लिक करके इसकासेट-अप डाउनलोड करें (आप चाहें तो इस टूल के अधिकारिक पृष्ठ पर जाकर भी सेट-अपडाउनलोड कर सकते है)।
2) एक ही क्लाइंट मशीन पर एकसे अधिक भाषाओं का IME सेट-अप चलाया जासकता है।
3) यह टूल Windows 7/Vista/XP32-bit ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करता है।
4) जब इंस्टॉलर डाउनलोड होजाये तो उसे चलायें। यह कुछ डाउनलोड करने की शुरूआत करेगा।
5) नियम व शर्तों को स्वीकारकरें-

6) गूगल इनपुट सेट-अप इंस्टॉलहो रहा है-

7) फिनिश बटन पर क्लिक करकेइंस्टॉलेशन विज़ार्ड से बाहर आयें-


विन्यास (कन्फिगरेशन)

आप यदि इस टूल को चलानाचाहते हैं तो पहले तो आपके सिस्टम में यूनिकोड का सपोर्ट इंस्टॉल होना चाहिए। इसकेलिए आप Control Panel ->Regional and Language Options -> Languages tab -> Install files forcomplex scripts and right to left languages और Install files forEast Asian languages दोनों को चेक्ड करकेइंस्टॉलर सीडी द्वारा इंस्टॉल करें। इसके बाद आपके टूलबार में भाषा का विकल्पदिखने लगेगा। भाषा के इस विकल्प को लैंग्वेज बार भी कहते हैं।

यदि लैंग्वेज-बार न दिखेतो।
डेस्कटॉप पर राइट क्लिककरें (दायाँ क्लिक करें) और टूलबार में जायें और निम्नलिखित चित्र की भाँतिलैंग्वेज़ बार इनेबल करें।



यदि फिर भी लैंग्वेज बारनहीं दिखता तो निम्नलिखित तरीके से लैंग्वेज बार दिखायें-

Windows 7/Vista
Control Panel -> Regional and Language Options -> Keyboard andLanguages tab
Text services and input languages dialog खोलने के लिए Change keyboards पर क्लिक करें।
Language Bar tab पर क्लिक करें
लैंग्वेज़ बार वर्ग से Docked in thetaskbar रेडियो बटन को इनेबल(सक्रिय) करें।
उपर्युक्त सभी सेटिंग कोइप्लाई करें और देखने की कोशिश करें कि आपके टूलबार में लैंग्वेज बार देखें।

Windows XP
जायें-Control Panel ->Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and inputlanguages (Details) -> Advanced Tab
यह सुनिश्चित कीजिए कि Systemconfiguration विकल्प के अंतर्गत Turn off advancedtext services चेक्ड नहीं है।
जायें- Control Panel ->Regional and Language Options -> Languages tab -> Text services and inputlanguages (Details) -> Settings Tab
Language Bar पर क्लिक करें
Show the Language bar on the desktop चुनें और OK पर क्लिक करें।

IME का Shortcut कैसे सक्रिय करें-

हालाँकि आप लैंग्वेज बार सेअंग्रेजी और हिन्दी को बारी-बारी से चुनकर दोनों भाषाओं के बीच टॉगल कर सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने कीबर्ड से कोई शार्टकर्ट का इस्तेमाल करके किसी भीअनुप्रयोग में इसे चलाना चाहते हैं तो निम्नलिखित तरीके से कर सकते हैं-

Windows 7/Vista

Control Panel -> Regional and Language Options -> Keyboard andLanguages tab

Text services and input languages dialog खोलने के लिए Change keyboards... बटन पर क्लिक करें।

Advanced Key Settings tab खोजें और इसपर क्लिककरें।

यदि Google Input उस लिस्ट में नहीं है तो Add पर क्लिक करें। Add Input languagedialog box में भाषा विकल्प में हिन्दीऔर कीबोर्ड में Google Input चुनें।

Hot keys for input languages वर्ग में - Google Input पर जायें।

Change Key Sequence दबायें

Enable Key Sequence चुनें

Left ALT + SHIFT + Key 1 जैसा कोई विकल्पचुनें।

ऊपर्युक्त सभी सेटिंग कोएप्लाई करें।

अब नोटपैड, वर्डपैड जैसे किसी अनुप्रयोग को खोलकर यह चेक करें कि शॉर्टकर्ट काम कर रहा हैया नहीं। Left ALT + SHIFT +Key 1 दबायें और देखें कि हिन्दी में लिख पारहे हैं या नहीं।


Windows XP


Control Panel -> Regional and Language Options -> Languages tab-> Text services and input languages (Details) -> Settings Tab
यदि या Google InstalledServices बॉक्स में भाषा के रूप मेंनहीं जुड़ा है, तो Add पर क्लिक करके Add Input language dialog box खोलें Input language में जोड़े और Keyboard layout/IMEमें Google Input चुनें। OK पर क्लिक करें।
Key Settings पर क्लिक करें।
Hot keys for input languages में Switch to -GoogleInput चुनें
Change Key Sequence पर क्लिक करें
Enable Key Sequence चुनें
Left ALT + SHIFT + Key 1 जैसा कोई विकल्पचुनें।
ऊपर्युक्त सभी सेटिंग कोएप्लाई करें।
अब नोटपैड, वर्डपैड जैसे किसी अनुप्रयोग को खोलकर यह चेक करें कि शॉर्टकर्ट काम कर रहा हैया नहीं। Left ALT + SHIFT +Key 1 दबायें और देखें कि हिन्दी में लिख पारहे हैं या नहीं।


फीचर-

मैं इसके बहुत से फीचरों केबारे में पहले ही बता चुका हूँ। एक बार चित्र के मध्यम से देखते हैं-

स्टेटस विंडो-

जब आप लैंग्वेज बार सक्रियकर लेंगे और गूगल का विकल्प जोड़ लेंगे तो IME सक्रिय करने काशॉर्टकर्ट चलाते ही आपके स्क्रीन पर इस टूल का स्टेटस दिखाई देगा।



संपादन खिड़की-

स्क्रीन पर गूगल IME का विंडो दिखते ही आप नोटपैड सरीखे किसी अनुप्रयोग को खोलें और टाइप करना शुरूकरें। जब आप 'googl' टाइप करेंगे तो निम्नलिखिततरीके से विकल्प दिखेंगे-



नेविगेशन और चयन-

बाय-डिफाल्ट सबसे बायाँविकल्प आपका सक्रिय चयन है। आप अपना चयना BOTTOM-ARROW या TAB बटन द्वारा बदल सकते हैं। विकल्पों पर आगे बढ़ जाने के बाद पीछे केविकल्प/विकल्पों पर लौटने के लिए UP-ARROW या SHIFT+TAB बटन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मुश्किल लगे तो माउस राजा तो है हीं। Enter बटन को दबाकर वांछित शब्द इमसर्ट कर सकते हैं। SPACE या कोई PUNCTUATION CHARACTER (विराह चिह्न) आदिबटनों का प्रयोग करके भी शब्द को पूरा टाइप किया जा सकता है। CTRL+ के शॉर्टकर्ट से भी आप प्रदर्शित विकल्पों में से वांछित विकल्प चुन सकते हैं।जैसे दूसरा विकल्प चुनने के लिए CTRL+2 -




शब्द-पूर्ति-

जब आप इस संपादित्र (एडीटर)के माध्यम से कोई शब्द टाइप करते हैं तो यह सारे संभावित शब्द युग्मों को काले औरनीले रंगों में दिखाता है। काले रंग के बैकग्राउंड में प्रदर्शित हो रहे शब्द आपकेद्वारा टंकित रोमन अक्षरों से सम्भावित शब्द है और नीले रंग के बैकग्राउंड में प्रदर्शितहोने वाले शब्द शब्दकोश के शब्द हैं।

पेजिंग-

हमने जिस सेटिंग पर चर्चाकी, उसमें 1 बार में 5 शब्द प्रदर्शित होते हैं। सेटिंग से आप इसे 6 तक बढ़ा सकते हैं। लेकिन मान लें कि इस टूल के पास आप द्वारा टंकितअक्षरयुग्मों के लिए 5 या 6 से अधिक सुझाव हैं तो यह 1 से अधिक पृष्ठोंमें सभी शब्द प्रदर्शित करेगा। आप देखेंगे कि ऊपर और नीचे जाने का Arrow नेविगेशन चमकने लगेगा। आप PAGEUP, PAGEDOWN बटन से भी इनविकल्पों के बीच दौड़ सकते हैं।



खोज-

किसी भी समय जब आप इससंपादित्र में टाइप कर रहे हों, दायें कोने में गूगलके ऑइकॉन पर क्लिक करके उस शब्द (हाइलाइटेड) से संबंधित गूगल खोज कर सकते हैं।गैरसक्रिय विकल्पों पर बने डाउनएरो(DownArrow) के निशान पर क्लिक करके उस विशेष विकल्प से संबंधित गूगल खोज कर सकते हैं।




प्रयोक्ता कैशे (USER CACHE)-

कम्प्यूटर के लिए कैशे एकअस्थाई स्मृति होती है जो कभी पहले इस्तेमाल किये गये डाटा के रूप में संग्रहणितहोती है। कई दफ़ा स्मृति आधारित बहुत से कम्प्यूटर अनुप्रयोग अपनी इसी स्मृति कीमदद से बहुत तेज़ काम करते हैं, तेज़ परिणाम देतेहैं।

गूगल का यह आईएमई टूल भीप्रयोक्ता द्वारा सुझाये गये विकल्पों को अपने कैशे मेमोरी में संचित करके रखता हैऔर अगली दफ़ा आपको वांछित परिणाम देता है। उदाहरण के लिए- मान लें कि आपने इससंपादित्र की मदद से रोमन में 'program' टाइप किया। यह टूलपहले आउटपुट के रूप में 'प्रोग्राम' दिखाया, लेकिन आपको दूसरा विकल्प 'प्रोगराम' वांछित था। आपने उसे एरोबटन या माउस द्वारा चुना।



जब आप अगली बार ''program' टाइप करेंगे तो गूगल का यह IME टूल आपके सुझाव औरआपकी चाहत को ध्यान में रखेगा और पहले विकल्प के रूप 'प्रोग्रराम' दिखायेगा। नीचे दिखाये गयेचित्र की तरह-




दो भाषाओं को आपस मेंबदलना-

आप इस टूल की मदद से पहलेकी तरह अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा दोनों के शब्द अपने एक ही कीबोर्ड से लिख सकतेहैं। जब आईएमई सक्रिय हो, आप F12 या Ctrl+G की मदद से रोमन और देवनागरी को आपस में बदल सकते हैं।



आप चाहें तो आपके कम्प्यूटरस्क्रीन पर बने ऑइकॉन की मदद से 'अ' पर क्लिक करके 'A' और 'A' पर क्लिक करके 'अ' कर सकते हैं। 'अ' इस बात का सूचक है कि टाइपिंग-आउटपुट देवनागरी में होगा और 'A' इस बात का सूचक है कि टाइपिंग-आउटपुट रोमन में होगा।

कीबोर्ड-

गूगल ने इस बार एकइनस्क्रिप्ट कीबोर्ड का विकल्प भी दिया है, जिसमें हिन्दी केसभी स्वर, व्यंजन, विराम चिह्न इत्यादि एकक्रम में सजे हुए हैं। इस कीबोर्ड की मदद से आप बहुत से जटिल और दुर्लभ शब्द याअपनी मर्ज़ी के सार्थक-निरर्थक शब्द अपने आलेख में जोड़ सकते हैं। जैसे यदि आपकीबोर्ड की मदद से 'यक्ष' लिखना चाहें तो कीबोर्ड से 'य' और 'क्ष' का बटन दबायें आपका काम हो जायेगा।

यह कीबोर्ड स्टेटस विंडों(कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाला IME का ऑइकॉन) पर बनेकीबोर्ड के ऑइकॉन पर क्लिक करके खोला जा सकता है या कीबोर्ड शॉर्टकर्ट Ctrl+K द्वारा खोला जा सकता है। माउस द्वारा वांछित अक्षर का चुनाव कर सकते हैं। माउससे स्टेटस विंडो पर बने कीबोर्ड के ऑइकॉन पर दुबारा क्लिक करके, या Ctrl+K दबाकर या Esc का बटन दबाकर इसे बंद कियाजा सकता है।

गूगल ने पहली बार ZWJ और ZWNJ का विकल्प भी इस कीबोर्ड में दिया है। मैं यूनिप्रशिक्षण के दौरान कई बार इनदोनों के महत्व का उल्लेख कर चुका हूँ। आज संक्षेप में दुबारा लिखता हूँ-

ZWJ- Zero Width Joiner (शून्य चौड़ाई वालायोजक)- मतलब दो व्यंजनों को जोड़ने वाला ऐसा योजक जिसकी चौड़ाई शून्य हो। जैसे जबहम सामान्य तरीके से एक आधा व्यंजन और उसके बाद पूरा व्यंजन लिखते हैं तो दोनोंमिलकर कई बार बहुत अजीब सा (अवांछित) रूप धर लेते हैं। जैसे जबकि हम 'रक्‍त' लिखना चाहते हैं, लेकिन इसका रूप 'रक्त' जैसा हो जाता है। असल में हम 'रक्‍त' इसी ZWJ की मदद से लिखते हैं। मतलब यह जोड़ भी देता है और कोई स्थान भी नहीं घेरता।
रक्त= र+क्+त
रक्‍त=र+क्+ZWJ+त

या मान लें आपको को 'क्‍', 'ख्‍', 'ग्‍'.....'च्‍', 'छ्‍'.....'त्‍', 'थ्‍' इत्यादि लिखना है तो ZWJ का इस्तेमाल करनाहोगा।
जैसे ग्‍= ग्+ZWJ

ZWNJ- Zero Width Non Joiner (शून्य चौड़ाई वालाअ-योजक)- मतलब दो व्यंजनों को पारस्परिक अलग-अलग दिखाने का उपाय जिससे हम व्यंजनके पूर्ण शुद्ध रूप को निरूपित कर सकते हैं, भले ही उसके बाद कोईव्यंजन ही आये। अमूमन हिन्दी में किसी पूर्ण शुद्ध व्यंजन के बाद कोई व्यंजनजुड़ते ही उसके आकार में कुछ विकार आ जाता है, लेकिन कई बार हम उसेअलग करके दिखाना चाहते हैं, जिसके लिए ZWNJ का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे मान लें कि 'रक्त' आप ना तो 'रक्त' की तरह और ना ही 'रक्‍त' की तरह दिखाना चाहते हैं बल्कि आप 'रक्‌त' की तरह दिखाना चाहते हैं तब आप ZWNJ का इस्तेमाल करेंगे।
रक्‌त= र+क्+ZWNJ+त




अनुकूलन-

इस टूल में अपने हिसाब सेअनुकूलन करने का विकल्प भी मौज़ूद है। आप स्टेट्स विंडों में सेटिंग के ऑइकॉन परक्लिक करके 'Suggestion Font' से यूनिकोड का फॉन्ट, साइज़ और बोल्ड, इटैलिक, अंडरलाइंड इत्यादि जैसे कस्टोमाइजेशन कर सकते हैं। आप मंगल और Arial Unicode MS के अलावा भी जैसे गार्गी, जयपुर यूनिकोड, जनहिन्दी इत्यादि जैसे यूनिकोड फॉन्ट (यदि आपने इसे अपने सिस्टम में अलग सेडाल रखा है तो) जैसा कोई और फॉन्ट चुन सकते हैं।

अंग्रेज़ी के शब्दों के लिएफॉन्ट कस्टोमाइजेशन कर सकते हैं। पेज़ साइज़ बदल सकते हैं (एक पेज़ में कितनेविकल्प दिखाने हैं)।

जिस प्रयोक्ता कैशे काउल्लेख मैंने ऊपर किया आप चाहें तो उसे निष्क्रिय भी कर सकते हैं, क्योंकि कई बार आप बहुत अजीब या कम प्रयोग में आने वाला शब्द टाइप करते हैं औरआप नहीं चाहते कि चालू शब्द पहले नं॰ पर आना बंद हो।